गाऊँ जब तक गीत मीत, तुम जगते रहना
तुम मूंदोगे पलक तमिस्रा तिर आयेगी
गीतों के चंदा पर बदली घिर जायेगी
गीत गा रहा मैं कि तुम्हारी मेरे उर में-
गाती पागल प्रीत मीत, तुम सच-सच कहना
गाऊँ जब तक गीत मीत, तुम जगते रहना।
पतवारें तो साथ न प्रिय, मैं ले पाया था
क्योंकि बुलाया तुमने इसीलिए आया था
अब तुम कहतीं बढ़ो, बढ़ा जा रहा निरन्तर
मिले हार या जीत मीत, तुम संग-संग बहना
गाऊँ जब तक गीत मीत, तुम जगते रहना।
एक तुम्हारा रूप नयन में डॉ रहा है
अधरों पर जीवन का अमृत घोल रहा है
सौ-सौ दोष लगाये जगती, या हो जाये-
निठुर नियति विपरीत मीत, मेरा कर गहना
गाऊँ जब तक गीत मीत, तुम जगते रहना।