तारिका सजी गगन तैयार ।
उजाला  भरे चंद्र  संसार ।
खोल दो हृदय पटल के राज, 
मनेगा तभी  तीज  त्योहार ।
नाव  को मिले किनारा नाथ,
थाम लो  हाँथों  में   पतवार ।
संग दें  लहरें  बनकर  साज,
हवाएँ   कर   देंती  अभिसार।
सखा तब श्याम  हुए सरताज,
डूबती  नौका यदि  मँझधार ।
सखे "कृत कृत्य" हुई मैं आज,
तुम्ही हो मीत हमारा  प्यार ।