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मीत हमारा प्यार / प्रेमलता त्रिपाठी

तारिका सजी गगन तैयार ।
उजाला भरे चंद्र संसार ।

खोल दो हृदय पटल के राज,
मनेगा तभी तीज त्योहार ।

नाव को मिले किनारा नाथ,
थाम लो हाँथों में पतवार ।

संग दें लहरें बनकर साज,
हवाएँ कर देंती अभिसार।

सखा तब श्याम हुए सरताज,
डूबती नौका यदि मँझधार ।

सखे "कृत कृत्य" हुई मैं आज,
तुम्ही हो मीत हमारा प्यार ।