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मीत / गंग नहौन / निशाकर

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अहाँ हमर मीत छी
मुदा अहाँकें हम नहि अछि जे
अहाँ हमरा देह पर ढ़ारि दी एसिड
पिया दी माहुर
आ लाऽ जा कऽ बैसा दी रण्डीखानामे।

नेह देबाक माने नहि होइत छै
पल-पल
कष्ट देब, नोछरब
आ हम अहाँ पर
करैत रही नेहक बरखा।