कसम खा रहे है कि सतपथ चलेंगे
मुसीबत  हो  कोई  न पथ से टलेंगे।
रहेंगे  सदा  सत्य  आदर्श  पर  ही
घनी  रात  में  दीप  बन कर जलेंगे।।
प्यार मिल जाता  अगर  तकदीर से
बांध   लेता   स्नेह   की   जंजीर  से।
दिल स्वयं ही विरह में तड़पा किया
मत  करो  घायल  नजर  के  तीर से।।
प्रिय  रंग  रूप  तेरा
मनमोहना      घनेरा।
है ज़ुल्फ़  रात  जैसी
मुखड़ा सुखद सवेरा।।
अलकों में  कितने  सवाल  हैं उलझे से
सांसों में कुछ समीकरण अनसुलझे से
एक  आस  का   जुगनू  बैठा  द्वारे  पर
यादों  के   धागे  अनसुलझे  सुलझे से।।
दिल में' हो जो बात वो कहना जरूरी है
जो  पड़े  ऊपर   उसे  सहना  जरूरी है।
मुश्किलें  आतीं  हमेशा  जिंदगी  में  पर
बस  सदा  औकात  में रहना  जरूरी है।।