मुझसे कह देना / संजय आचार्य वरुण
जब उजास की बात करो तो
मुझ से कह देना
जब धरती पर गंगाजल-सी
किरणें उतरें आकर
सारा कल्मष धुल जाता है
ताप सूर्य का पाकर
कुदरत की जब कहो कहानी
मुझसे कह देना
घर की देहरी पर छोटा सा
दीप हमेशा धरना
उसका काम यही होगा बस
पल-पल तम को हरना
अंधियारे से लड़ना हो तो
मुझसे कह देना
एक पलक में चाँद छुपा है
एक पलक मे सूरज
कई समन्दर सबके भीतर
इसमें कैसा अचरज
जब काया का चित्र उकेरो
मुझसे कह देना
जिसने अपने भीतर-भीतर
ख़ुद को ही ललकारा
ख़ुद को किया पराजित जिसने
उससे ये जग हारा
भरनी हो हुंकार अगर तो
मुझसे कह देना
जीवन की बारहखड़ी बाँची
शब्द नहीं घड़ पाया
जितना-जितना भरा स्वयं को
उतना खाली पाया
अर्थ उम्र का मिल जाए तो
मुझसे कह देना
एक किनारे सत्य खड़ा है
एक किनारे मेला
बीच में है यह दुनिया
आता जाता रेला
चलना हो उस पार अगर तो
मुझसे कह देना ।