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मुझे आस है / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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मुझे आस है

मिट जाएगा मन में घिरा

घोर अँधियारा।

किरण भोर की

आँगन में आ

फैला ही देगी उजियारा।

होंठों पर उतरेगी चाँदनी

बनकर मधुर मधुर मुस्कान।

आँखों में होगी शीतलता

और कण्ठ में मीठा गान ।

जितने भी बादल हैं दुख के

सब के सब छँट जाएँगे ।

उमंग भरा होगा हर मन

सुख सब में बँट जाएँगे।