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मुझे दे पाक दिल मौला / देवी नांगरानी

मुझे दे पाक दिल मौला
न धन माँगू न मैं सोना

विकारों से हैं मन मैले
शरीरों को है क्या धोना

वो पारस क्या जिसे छूकर
न लोहा बन सके सोना

ग़मों को मैंने चुन-चुन कर
सजाया दिल का हर कोना

न ऐसी चाह रख दिल में
जिसे पाकर पड़े खोना

ग़मों को जब हंसी आई
ख़ुशी को आ गया रोना

ये कैसी ज़िन्दगी ‘देवी’
सलीबों को जहाँ ढोना