मुझे मत ताको, मोहतरमा / मार्टिन कार्टर / अनिल जनविजय
अपनी खिड़की से मुझे मत ताको, मोहतरमा !
मत देखो मुझे, न अचरज करो कि मैं आया कहाँ से
इसी शहर में पैदा हुआ हूँ, मादाम !
छह बजे बीटल गीत सुनता हूँ हर शाम।
सुबह की हलचल में सुनता हूँ मुर्गों की बाँग
और तुम जब सुबह तह करती हो चादर को
रात तक अलमारी में रखने के लिए
मेरी हथेलियाँ झुर्रियों से भरी होती हैं।
वैसे ही जैसे तुम्हारी छाती भरी है नसों से, मोहतरमा !
डरो मत, न अचरज करो कि मैं आया कहाँ से
मेरी हथेलियाँ झुर्रियों से भरी होती हैं
और तुम्हारी छाती भरी होती है नसों से, मादाम !
किसी एक को पीछे हटना पड़ता है, जब दूसरा चूसता है उसका जीवन
अपनी खिड़की से मुझे मत ताको, मोहतरमा !
ताको क़ैदियों भरे उस रेल के डिब्बे को
ताको उस शवयान को, जो गुज़रता है तुम्हारे घर के पास से।
शहर के दक्षिण में बनी उस बड़ी झोपड़-पट्टी को ताको
ताको कठोर नज़रों से, मोहतरमा ! और जानो
मैं कहाँ से आया हूँ और कहाँ जा रहा हूँ
मेरी हथेलियाँ झुर्रियों से भरी हैं
वैसे ही तुम्हारे स्तन भरे हैं नसों से, मादाम !
किसी एक को पीछे हटना पड़ता है, जब दूसरा चूसता है उसका जीवन।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय