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मुझे याद है / मूसा जलील / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
मुझे याद है —
उस पहली मुलाक़ात में
कितना मधुर तुम मुस्कराई थीं
शर्म से हो गई थीं लाल
कैसे घबराई थीं, बुदबुदाई थीं ।
मुझे याद है —
कैसे बचकर भागी थीं तुम मुझसे
और मुझे दिल की आग ने जलाया था
कैसे बार-बार रोया था दुख में मैं
उन नींद रहित रातों ने मुझे जगाया था ।
मुझे याद है —
कैसे किसी सपने-सा उस दर्द से अलग हुआ
जिसकी याद मेरे पास है अब भी
प्यार मेरा ठण्डा था या गर्म या जोशीला
लेकिन वह प्यार मेरे साथ है अब भी ।
रूसी से भाषान्तर : अनिल जनविजय