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मुझे ये वक्त घुटन से रिहाई भी देगा / सर्वत एम जमाल
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मुझे ये वक़्त घुटन से रिहाई भी देगा
मैं जानता हूँ कि मुझको सफ़ाई भी देगा
अभी तो प्यास बुझा लो नदी की धारा से
नदी रुकी तो यही पानी काई भी देगा
सब अपना दर्द बताने चले तो आए हैं
मैं सोचता हूँ तुम्हें कुछ सुनाई भी देगा
जो रो रहे हैं अभी कल रुलायेंगे सबको
ये इन्कलाब सभी को दिखाई भी देगा
वो अपने भाई के हाथों मरा, ये चर्चा है
मगर जनाजे को कंधा तो भाई भी देगा
लगाओ पौधा, मगर इतनी आस मत रखना
कि जब ये पेड़ बनेगा, कमाई भी देगा
जो खुल के सामने आने लगे हो तुम सर्वत
यही मिज़ाज तुम्हें बेहयाई भी देगा