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मुदित नया साल / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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ओस भीगी धरा
किरनों के पाँव
उतरा है सूरज
अपने इस गाँव ।
पत्तों से छनकर
आई है धूप
निखरा है प्यारा
धरती का रूप ।
शरमाती कलियाँ
मुस्काते फूल
बाट में बिछाए
घास के दुकूल ।
तरुवर पर पाखी
देते हैं ताल
द्वार पर खड़ा है
मुदित नया साल ।