भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुबारक हो / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
Kavita Kosh से
मुबारक हो रमजान पावन महीना।
खुषी सॅे हिमालय केॅ निकलै पसीना।
अजां, सेहरी आरो रोजा नमाजी
इनायत मॅ खाड़ोॅ इ मक्का मदीना।
इतर से गमागम फ़जा ईद के छै
लगाबोॅ गला आरो सीना सॅे सीना।
कहीं सेवई छै कहीं वीरजानी
इ मंदिर इ मस्जिद धरम के नगीना।
कि हर-हर महादेव-अल्लाह अकबर
इ हिन्दुस्तां रंग मिलतै कहीना।