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मुमकिन नही कि भूल के भी आर्मीदा हूँ / ग़ालिब
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मुमकिन नही कि भूल के भी आर्मीदा हूँ
मैं दश्त-ए-ग़म में आहूव-ए-सय्याद-दीदा हूँ
हूँ दर्द-मंद जब्र हो या इख़्तियार हो
गह नाल-ए-कशीदा गह अश्क-ए-चशीदा हूँ
नय सुब्हा से इलाक़ा नय साग़र से वास्ता
मैं मारिज़-ए-मिसाल में दस्त-ए-बुरीदा हूँ
हरगिज़ किसी के दिल में नही है मिरी जगह
यानी कलाम-ए-नग़्ज़ वले ना-शुनीदा हूँ
अहल-ए-वारा के हल्क़ा में हर-चंद हूँ ज़लील
पर आसियों के ज़ुमरा में मैं बरगुज़ीदा हूँ
हूँ गर्मी-ए-नशात-ए-तसव्वुर से नग़्मा-संज
मै अंदलीब-ए-गुलशन-ए-ना-आफ्रि़दा हूँ
मैं चश्म-ए-वा-कुशादा और गुलशन नज़र-फ़रेब
लेकिन अबस कि शबनम-ए-ख़ुर्र्शीदा-दीदा हूँ
पानी से सग-गुज़ीदा डरे जिस तरह ‘असद’
डरता हूँ आईने से कि मर्दुम-गुज़ीदा हूँ