मुरझाई हुई फ़सल के भीतर / दिनकर कुमार
मुरझाई हुई फसल के भीतर कोई सम्भावना नही है
ठूँठ बन चुके पेड़ मुसाफ़िर को छाया नहीं दे सकते
सिद्धांतहीन समाज में बर्बर पशुओं का राज है
ग़रीबी की रेखा आत्महत्या के लिए सबसे मुनासिब जगह है
विचारधाराओं की लाश गिद्ध चबा रहे हैं
अघाए हुए चेहरों पर क्रूरता के भाव हैं
झुलसी हुई तितली की तरह वसन्त तड़प रहा है
ख़ुशहाली के सपनों पर प्रतिबन्ध घोषित है
नहीं देख सकेंगे बच्चे सपने नहीं देख सकेंगे
नहीं पूछ सकेंगे लोग सवाल नहीं पूछ सकेंगे
लहूलुहान क़दमों से मुसाफ़िर नहीं चल सकेंगे
कीचड़ के भीतर स्वर्ग का दृश्य नहीं देख सकेंगे
बलिवेदी पर सिर रखकर हम नहीं मुस्करा सकेंगे
श्मशान में बैठकर उल्लास के गीत नहीं गा सकेंगे
ग़ुलामी के आदी परिंदे खुलकर नहीं उड़ सकेंगे
हम ज़हर को अमृत समझकर नहीं पी सकेंगे
तय था पहले कि अन्धेरा निर्वासित होगा
बंजर खेतों में भी बीज अँकुरित होंगे
पत्थर जैसे होंठो पर भी मुस्कानें खिलेंगी
गोदामों में से लक्ष्मी बाहर निकल आएगी
सड़े हुए पानी को तालाब से निकाल दिया जाएगा
संविधान की किताब से आज़ादी बाहर निकलेगी
घुटनों के बल झुके हुए लोग सीधे खड़े होंगे
चूल्हें सुलग उठेंगे और आनाज का पर्व होगा
नदियों का सागर से मिलना तय किया गया था
मौसम पर सबका अधिकार तय किया गया था
फूलों का बेख़ौफ़ होकर खिलना तय किया गया था
झोपड़ी तक रोशनी का पहुँचना तय किया गया था
भावनाओं को सहेजकर रखना तय किया गया था
ईश्वर को दुकानदारी से अलग रखना तय किया गया था
पनघट तक प्यासों का जाना तय किया गया था
जीवन का जीवन जैसा होना तय किया गया था
विश्वास के साथ हमने अपना जीवन सौंपा था
हमने अँगूठे काटकर मतपेटी में डाल दिए थे
हम आश्वासन की शराब पीकर सो गए थे
हम विकास की धुन पर नाचने लगे थे
हमने गणतन्त्र के सम्मान में सिर झुका दिया था
हमने बेहिचक हर आदेश-अध्यादेश माना था
हमने आस्था के साथ तिरंगे को चूमा था
हमने बुलन्द आवाज़ में राष्ट्रगीत गाया था
इसके बावजूद ज़हर को नसों में घोला गया है
इसके बावजूद ईश्वर को चकले पर बेचा गया है
इसके बावजूद सत्य को संसद में दफ़नाया गया है
इसके बावजूद मज़दूरों के हाथ काटे गए हैं
इसके बावजूद किसानों से हल छीने गए हैं
इसके बावजूद मांओं की माँगें उजाड़ी गईं हैं
इसके बावजूद चाँदनी में तेज़ाब मिलाया गया है
इसके बावजूद हमें मनुष्य से कीड़ा बनाया गया है
और अब झूठ की पूजा इसी तरह जारी नहीं रह सकती
महलों में लक्ष्मी का नृत्य जारी नहीं रह सकता
ठंडे चूल्हों से लिपटे बच्चों की साँस जारी नहीं रह सकती
प्रयोगशालाओं में हमारी अन्तड़ियों की जाँच जारी नहीं रह सकती
राजनीति के चाबुक की फटकार आबादी बर्दाश्त नहीं कर सकती
बहू-बेटियों को निर्वस्त्र कर चौराहे पर प्रदर्शन जारी नहीं रह सकता
सुलगते हुए ज्वालामुखी को फटने से हरगिज रोका नहीं जा सकता ।