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मुर्दा मौन / आरती मिश्रा

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तुम्हारा बोलते जाना अच्छा है
जैसे कि रस्सी बटना, लम्बी सी
अच्छा है समय के लिए भी
तुम्हारा यूँ ही बोलते रहना लगातार

तुम चिल्लाते
चीख़ते
या गालियाँ बकते तो भी अच्छा था

अच्छा नहीं हो सकता, बिल्कुल भी
यह मुर्दा मौन
चुप लगा जाना
हर प्रश्न के उत्तर में तुम्हारा यंत्रवत मुंडी हिलाना
और सोचना-‘बोलने से भला होता क्या है?’