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मुश्किल दिन की बात / शिरीष कुमार मौर्य

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आज बड़ा मुश्किल दिन है
कल भी बड़ा मुश्किल दिन था
पत्‍नी ने कहा -–
                   चिन्ता मत करो कल उतना
                   मुश्किल दिन नहीं होगा
उसके ढाढ़स में भी उतना भर सन्देह था

मुश्‍किल दिन मेरे कण्ठ में फँसा है
अटका है मेरी साँस में
मैं कुछ बोलूँ तो मुश्किल की एक तेज़ ध्‍वनि आती है
मुश्किल दिन से छुटकारा पाना
मुश्किल हो रहा है

माँ उच्‍च रक्‍तचाप और पिता शक्‍कर की
लगातार शिकायत करते हैं
पत्‍नी ढाढ़स बँधाने के अपने फ़र्ज़ के बाद
पीठ के दर्द से कराहती सोती है

अपनी कुर्सी पर बैठा मैं
घर का दरवाज़ा खोलकर बाहर निकल जाता हूँ
बच्‍चे की नींद और भविष्‍य ख़राब न हो
इसलिए मैं बहुत चुपचाप बाहर निकलता हूँ

बाहर मेरे लोग हैं वे मेरी तरह कुर्सी पर बैठे हुए नहीं हैं

उनमें से एक शराब के नशे में धुत्‍त
बहुत देर से सड़क पर पड़ा है
मैं उसे धीरे से किनारे खिसकाता हूँ
वह लड़खड़ाते अस्‍पष्‍ट स्‍वर में एक स्‍पष्‍ट गाली देता है मुझे
कल बड़ा मुश्किल दिन होगा

एक हज़ार रुपए में रात का सौदा निबटा कर
बहुत तेज़ क़दम घर वापस लौट रही है एक परिचित औरत
एक हज़ार रुपए इसलिए कि दिन में यह आँकड़ा बता देते हैं
उसकी रातों के ज़लील सौदागर
मैं मुँह फेर कर उसे रास्‍ता देता हूँ
कल सुबह मिलने पर वह मुझे नमस्‍ते करेगी
कल बड़ा मुश्किल दिन होगा

एक अल्‍पवयस्‍क मज़दूर
एक दूकान के आगे बोरा लपेट कर सोया पड़ा है
कल जब मैं अपने काम पर जाऊँगा
वह चौराहे पर मिलेगा अपने हिस्‍से का काम खोजता हुआ
कल बड़ा मुश्किल दिन होगा

घबरा कर कुर्सी पर बैठे हुए मैं घर का दरवाज़ा खोल वापस आ जाता हूँ
कमरे के 18-20 तापमान पर भी पसीना छूटता है मुझे
कम्‍प्‍यूटर खोलकर मैं अपने जाहिलों वाले पढ़ने-लिखने के काम पर लग जाता हूँ
अपने लोगों को बाहर छोड़ता हुआ
कल मुझे उन्‍हीं के बीच जाना है
कल बड़ा मुश्किल दिन होगा

मेरे स्‍वर में मुश्किल भर्राती है
मेरी साँस में वह घरघराती है पुराने बलगम की तरह
मैं उसे खखार तो सकता हूं पर थूक नहीं सकता
मुश्किलों को निगलते एक उम्र हुई
कल भी मैं किसी मुश्किल को निगल लूँगा
कल बड़ा मुश्किल दिन होगा

जानता हूँ
एक दिन मुश्किलें समूचा उगल कर फेंक देगी मुझे
मेरी तकलीफ़ों और क्रोध समेत
जैसे मेरे पहाड़ उगल कर फेंक देते हैं अपनी सबसे भारी चट्टानें
बारिश के मुश्किल दिनों में
और उनकी चपेट में आ जाते हैं गाँवों और जंगलों को खा जाने वाले
चौड़े-चौड़े राजमार्ग
दूर तक उनका पता नहीं चलता
कल कोई ज़रूर मेरी चपेट में आ जाएगा
कल बड़ा मुश्किल दिन होगा
                                   लेकिन मेरे लिए नहीं