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मुस्कराहट / विस्साव शिम्बोर्स्का / विनोद दास

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उम्मीद को
तरानों में सुनने से बेहतर
दुनिया उसे अमली जामे में देखना चाहेगी
लिहाज़ा राजनेताओं को मुस्कराना होगा

मोती से चमकते दाँतों का मतलब है
वे फ़िलहाल मौज में हैं
गो यह खेल पेचीदा है और निशाना पहुँच से बहुत दूर
नतीज़ा अब भी साफ़ नहीं है — अगर्चे
बाजवक़्त हमें दोस्ताना चमकती बत्तीसी की ज़रूरत पड़ती है

हवाई पट्टियों पर, सभागारों में
राष्ट्राध्यक्षों को अपनी भवों को बेशिकन दिखाना लाज़िम है
दुनियावी या ज़रूरी फ़ौरी मसलों पर
उनकी ज़बान से एक बड़ा पुरलज्ज़त लफ्ज़ निकलना ही चाहिए —“वाह”
उनके चेहरे की बाख़ुद ताज़ादम होती मांसपेशियों से
गुनगुनाते हैं हमारे दिल
झूमते हैं कैमरों के हमारे लेंस

दाँतों के ज्ञान का इस्तेमाल कूटनीतिक दाँव-पेंच में करके
हमसे किया जाता है यह वायदा
कि कल आएगा सुनहरा ज़माना

गो यह वायदा बुरी हालत में चल रहा है
लिहाज़ा हमें चाहिए
चमकीले काटने-चबाने वाले दाँतों की अच्छी साख
वैसे भी हमारे चेहरों के लिए
हमारा वक़्त अभी भी इतना महफ़ूज़ और अक्लमन्द नहीं है
कि वह मामूली दुखों को दिखा सके

स्वप्नदर्शी कहते रहते हैं
“इनसानी भाई चारा इस ज़गह को
मुस्कराहटों से भरी ज़न्नत बना देगा

मुझे यक़ीन नहीं है
फिर तो राजनेताओं को अपने चेहरे की कसरत करनी पड़ेगी
बस, उस दौर को छोड़कर
जब वे रहते हैं ख़ुश

वह ख़ुश है कि यह बहारों का मौसम है
और वह अपना चेहरा हिला-डुला सकता है

यूँ इनसान कुदरतन दुखी रहता है
चुनाचे उसे रहने दें — यह होना उतना भी बुरा नहीं है

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास