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मुस्कान में / वास्को पोपा / सोमदत्त
Kavita Kosh से
होंठों के कोनों में
उभर आई है एक सुनहरी किरण
लहरें देख रही हैं सपने
झाड़ियों में लपटों की
नीली आँखों वाली दूरियाँ
कुण्डली मार के सिमट गई हैं
दोपहर पक रही है आराम से
ठीक आधी रात के सीने में
बिजली की पालतू कड़कें भुनभुना रही हैं
ख़ामोशी के पत्तों के ऊपर-ऊपर
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोमदत्त