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मुहब्बत की यही तस्वीर किस्मत ने दिखाई है / देवी नांगरानी
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मुहब्बत की यही तस्वीर क़िस्मत ने दिखाई है
फ़क़त बहते हुए अश्कों से मेरी आशनाई है
तुम्हारी आँख में झाँका तो देखी ख़ुद की परछाईं
ये अपनी आशिक़ी का मोड़ शायद इंतिहाई है
तुम्हारे ख़त में ताज़ा है अभी भी प्यार की ख़ुशबू
उसीसे तो दिले-बेताब ने तस्कीन पाई है
पुराने ज़ख़्म भी नासूर बनकर दिल लुभाते हैं
लबों पर मुस्कराहट भी उन्होंने ही सजाई है
हवा की शोख़ियों ने भी इसे छोड़ा नहीं लोगो
सरक कर सर से कांधो पर ये चुनरी अब तो आई है
मिलीं नज़रें तो रौशन हो गई अरमान की महफ़िल
तुम्हारे प्यार ने ‘देवी’ मेरी क़िस्मत जगाई है