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मृग-मरीचिका / अनिता भारती
Kavita Kosh से
प्यार
ममत्व स्नेह
एक मृग-मरीचिका
जिसके पीछे
भागते-भागते हम
अंत में हाँफकर
थककर बैठ जाते है
जीवन के रेगिस्तान में
हरे पेड़
या फिर ताजे पानी से भरा तालाब
सच नही
सच है एक झुलसाते रेत की
मृग-मरीचिका