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मृत्यु- बापू / भारत भाग्य विधाता/ नन्दलाल यादव 'सारस्वत'
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के होतै दुनियाँ मेॅ हेनोॅ, जेन्होॅ होलै, गाँधी जी,
सोचै, कैन्हें शीश नवैलेॅ, दुनियाँ बोलै, गाँधी जी’ ।
यैलेॅ कि विष-माहुर जैठां, अमृत घोलै, गाँधी जी,
जड़ता जन्नेॅ-जन्नेॅ जड़ छै, ओकरौ झोलै, गाँधी जी ।
अखिल भुवन के जनमानस मेॅ जीत्तोॅ अभियो गाँधी जी,
पंचतत्व कोय भले विलाबेॅ, पर नै कभियो, गाँधी जी ।
गाँधी जी राती के सूरज, दिन के चन्दा गाँधी जी
सत्य-अहिंसा के जे बन्दा ओकरोॅ बन्दा, गाँधी जी ।
भारत के प्राचीन शील के कथा-कहानी, गाँधी जी,
के कहतै कल, गाँधी छेलै ? लगै पिहानी, गाँधी जी ।