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मृत्यु तुम झूम कर आना / कल्पना पंत
Kavita Kosh से
मृत्यु! तुम
झूम कर आना
रात के रथ पर नहीं
चांदनी की झालर में
या फिर सुबह की रोशनी में मिल जाना
मैं तुम्हारा सुनहरा रूप पा सकूं
तुम आना
कि मैं
जाते पथ में किसी को जिंदगी दूं
किसी के जख्म-सी सकूं
कहीं रोशनी कर दूं
कहीं उल्लास मैं भर दूं
किसी को
नेह दे सकूं
किसी का दर्द ले सकूं
चषक में प्रेम जो भरा
प्रेममय ही दे सकूं
कहीं पर दृष्टि मैं पाऊँ
कहीं पर दृष्टि दे जाऊँ
अंत तक जिंदादिली देते
जिंदगी साथ ले जाना
मृत्यु तुम
झूम कर आना।