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मेंढक नाचे ता-ता-थैया / श्याम सुन्दर अग्रवाल

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उमड़-घुमड़ कर आए बादल
छाई घटा घनघोर ।
हर्षाये सब पशु और पक्षी,
जंगल में नाचा मोर ।

रिमझिम-रिमझिम वर्षा आई,
नन्नू-मन्नू सब को भाई ।
नाच उठी नन्ही गुड़िया भी,
वह तो मींह में खूब नहाई ।

तपती धरती शीतल हो गई,
मिला खेत को पानी ।
सूख रहे थे पेड़ और पौधे,
उन्हें मिली नई जिंदगानी ।

जी भर कर जब बरसे बादल,
भर गए सूखे ताल-तलैया ।
कोयल और पपीहा गाएँ,
मेंढक नाचे ता-ता-थैया ।