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मेघ आए, निकट कानों के / देवेन्द्र कुमार
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मेघ आए, निकट कानों के
फूल काले खिले धानों के ।
दूब की छिकुनी सरीखे
हवा का चलना
दूर तक बीते क्षणों में
घूमना-फिरना
सिलसिले ऊँचे मकानों के ।
रंग की चर्चा तितलियों में
मेह भीगी शाम
बिल्ली-सी
नदी की पहुँच गलियों में
खिड़कियों का इस तरह गिरना
गीत ज्यों उठते पियानों के ।
मेघ आए निकट कानों के
फूल काले खिले धानों के ।