मेरा अन्तिम गीत / तेमसुला आओ / श्रुति व माधवेन्द्र
मैं गा चुकी होऊँगी
अपना अन्तिम गीत
जब मैं नहीं होऊँगी
विचलित
एक अशक्त शरीर
और टूटी हुई आत्मा से ।
गा चुकी होऊँगी मैं
अपना अन्तिम गीत
यदि बच्चों की खिलखिलाहट
और स्त्रियों की गप्पें
प्रतिक्रिया नहीं पैदा करेंगी मुझमें ।
अगर कोई इन्द्रधनुष
रहता है अनदेखा
अगर कोई बारिश की बून्द
गिरती है बिना महसूस हुए
मुझसे,
और अगर
फूलों के रंग
और पंखों की फड़फड़ाहट
नहीं छूती है मेरे हृदय को
गा चुकी होऊँगी
मैं अपना अन्तिम गीत !
यदि एक शिशु की मुस्कान
और एक श्वान-शिशु का
नन्ही पूँछ हिलाना
जिसे अभी होना है बड़ा
नहीं प्रेरित करता है मुझे,
यदि नहीं
सुन पाती मैं
आग्रह
गूँगे का
ज़रूरत ही नहीं मुझे और गाने की ।
और यदि मैं नहीं हंस सकती
ख़ुद पर कभी-कभी
और कह सकती
ख़ैर, यह जीवन है
कोई अर्थ नहीं है
मेरे गाने का ।
और यदि कभी
कोई प्रार्थना है
मेरे गीतों में
वह यह है —
ऐसा कभी न हो
कि गाना
बन्द कर दूँ मैं
अपने अन्त
से पहले ।
—
अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : श्रुति व यादवेन्द्र