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मेरा छाता / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
मेरा खूब रँगीला छाता,
सैर कराने को वर्षा में
है तैयार, छबीला छाता!
जब लेकर जाता हूँ बाहर
बन जाता है यह छोटा-सा घर,
इतना प्यारा, इतना सुंदर
जैसे हँसता नीला अंबर।
तेज हवा में तनकर रहता,
होता कभी न ढीला छाता!
सचमुच है यह सच्चा साथी
संग-संग चलता है दिन-राती,
तेज धूप हो या हो पानी
साथ निभाता है यह मानी।
मुझे भीगने कभी न देता,
चाहे खुद हो गीला छाता!