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मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक / नरेंद्र सिंह नेगी

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मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक जैल्यु, बसन्त रितु मा जैयि,बसन्त रितु मा जैयि
मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक जैल्यु, बसन्त रितु मा जैयि,बसन्त रितु मा जैयि
हैरा बण मा बुराँस का फूल, जब बण आग लगाणा होला..
भीटा पाखों थैं फ्योलिं का फूल, पिन्ग्ला रंग मा रंग्याणा होला ..
लाइयां पैयां ग्वीराल फूलु ना, लाइयां पैयां ग्वीराल फूलु ना, होलि धरती सजि देखि ऐइ …
बसन्त रितु म जैयि…
मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक जैल्यु, बसन्त रितु मा जैयि,बसन्त रितु मा जैयि
रंगीला फागुन होल्येरों कि टोलि, डांडि कांठियों रंग्यणि होलि…
कैक रंग म रंग्युं होलु क्वियि, क्वि मनि-मन म रंग्श्याणि होलि..
किर्मिचि केसरि रंग कि बार, किर्मिचि केसरि रंग कि बार, प्रेम क रंगों मा भीजि ऐइ…
बसन्त रितु म जैयि….
मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक जैल्यु, बसन्त रितु मा जैयि,बसन्त रितु मा जैयि
बिन्सिरि देल्युं मा खिल्दा फूल, राति गों-गों गितेरुं का गीत…
चैता का बोल, ओजियों का ढोल, मेरा रोंतेला मुलुके कि रीत…
मस्त बिगिरैला बैखुं का ठुम्का, मस्त बिगिरैला बैखुं का ठुम्का, बांदूं का लस्सका देखि ऐइ….
बसन्त रितु म जैयि…
मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक जैल्यु, बसन्त रितु मा जैयि,बसन्त रितु मा जैयि
सैणा दमला अर चैतै बयार, घस्यरि गीतों मा गुंज्दि डांडि…
खेल्युं मा रंग-मत ग्वेर छोरा, अट्क्दा गोर घम्डियंदि घंडि..
वखि फुन्डे होलु खत्युं मेरु भि बचपन, वखि फुन्डे होलु खत्युं मेरु भि बचपन, उकिरी सकली त उकिरी की लेई …
बसन्त रितु म जैयि…
मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक जैल्यु, बसन्त रितु मा जैयि,बसन्त रितु मा जैयि
बसन्त रितु मा जैयि, बसन्त रितु मा जैयि, बसन्त रितु मा जैयि।