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मेरा देश / नरेश अग्रवाल
Kavita Kosh से
इस छोटी-सी जिन्दगी में
मिला था सौभाग्य मुझे यहाँ जन्म लेने का
देखने का कि जब खो जाता हो प्रकाश जिसका
किस तरह से करता है कोई कोशिश उसे पाने की
और गुलामी जब निकलकर आती है पिंजड़े से,
कितना कठिन होता है पैर जमाना आसमान में
और कितना तेज दौड़ऩा होता है
रहने के लिए सबके साथ ।