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मेरा नाम जानना चाहते हो / लीना मल्होत्रा

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तुम मेरा नाम जानना चाहते हो मेरा चेहरा देखना चाहते हो
यह ज़रूरी नही है दोस्त
क्योंकि मैं वह भय हूँ
जो हर लड़की पर रात के अँधेरे की तरह उतरता है
और जेब में रखी मिर्ची की पुड़िया की तरह दुबका रहता है
वह हर लड़की जिसके पाँवो के नीचे अकेली सड़क की धुकधुकी बढ़ जाती है
और दिल देह से निकल कर दो फ़ुट आगे दौड़ने लगता है अँधेरे के ख़तरों पर कुत्ते की तरह भौंकते हुए
मैं वह हर लड़की हूँ जो आजकल आईना नही देखती
क्योंकि उसे वहाँ अपने चेहरे के बदले दिखती है
एक क्षत-विक्षत रौंदी हुई आँत
मैं कोशिश हूँ
साहस दिखाने की कोशिश
साहस जो वेण्टिलेटर की कृत्रिम साँसों के बीच बचा रहा
जिसे रामसिंह की सलाख रौंद नहीं पाई
चिकित्सकों के चाकू काट कर अलग नही कर पाए ।
साहस जिसे इन्फ़ेक्शन नही हुआ
मैं मर भी जाऊँ तो मुझे याद रखना
क्योंकि
मैं बीते जन्म में किया हुआ कोई वायदा नही हूँ
जिसकी गहराई सिर्फ़ सपनो में मापी जा सकती है
मैं वो स्वप्न हूँ
जो आँख खुलते ही टूट जाएगा
बेशक !
धुल-पुँछ जाएँगे उसके दृश्य
फिर भी छोड़ जाएगा एक सुर आत्मा की खिड़की पर
जिसे तुम गुनगुनाते रहोगे
जो तुम्हारी ख़ामोशी को तोड़ डालेगा