हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरा भंवर ने भेजी निसानी एक ताला एक छुरी।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली
सास, दिल मांगे हरी हरी फली
ताला तो मेरा घर रखवाला छुरी बनारै फली।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली
सास, दिल मांगे हरी हरी फली
सास दिल मांगे ताजा फली।
जब उन फलियां नै चीरण बैठी सास नगोड़ी जली।
जब उन फलियां ने जीमण बैठी, दुराणी जिठानी जली।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली
खेतां तै घरवाला आया खूब दड़ाहड़ दई।
दुराणी जिठानी बोली मारै, फिर भी खागी फली।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली