भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरा मुन्नू / श्रीनाथ सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरा मुन्नू बड़ा दुलारा।

अम्मा मेली दद्दू मेला।
गैया मेली बचला मेला।
जो लखता - कहता मेला है
ऐसा चल बल अलबेला है।
है न किसे प्राणों से प्यारा।
मेरा मुन्नू बड़ा दुलारा।
सिहांसन है गोद हमारी।
इस पर वारूँ दुनियां सारी।
इसी गोद का है वह राजा।
कहता सब से तू! तू! आ जा!
क्यों न कहूं आँखों का तारा।
मेरा मुन्नू बड़ा दुलारा।