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मेरा साया / आशीष जोग
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दिन भर मेरे आस-पास खेलता रहा मेरा साया,
शाम तक मुझसे भी बड़ा हो गया मेरा साया |
मैं समझता था कि मेरा दोस्त है मेरा साया,
फिर जाना कि है ग़ुलाम रौशनी का मेरा साया |
तरस आता है कितना मजबूर है मेरा साया,
पास रह कर भी कितना दूर है मेरा साया |
बचपन में शरीर था मेरे जैसा ही मेरा साया,
मेरे साथ झुक के अब चलता है मेरा साया |
दिन भर न छोड़े है मुझे एक पल मेरा साया,
जाने कहाँ रात को गुम हो जाए है मेरा साया