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मेरी आँखों से गुज़र कर दिल ओ जाँ में आना / अब्दुल अहद 'साज़'

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मेरी आँखों से गुज़रकर दिल ओ जाँ में आना
जिस्म में ढलके मिरी रूह-ए-रवाँ में आना

खो न जाना मिरी जाँ सरहद-ए-जाँ तक आ के
क़ुर्ब का पास लिए बोद-ए-कराँ में आना

मैं तिरे हुस्न को रानाई-ए-मा'नी दे दूँ
तू किसी शब मिरे अंदाज़-ए-बयाँ में आना

साथ चलने को रफ़ीक़-ए-रह-ए-दुनिया हैं बहुत
तू मिरे साथ मिरे अपने जहाँ में आना

ला-मकाँ शेर की बंदिश में सिमटना पलभर
आसमाँ आईना-ए-आब-ए-रवाँ में आना

इश्क़ ने देख लिए हुस्न में आफ़ाक़ तमाम
एक सकते का वो उम्र-ए-गुज़राँ में आना

ज़ीनत-ए-दस्त-ए-हिनाई है यही दुज़्द-ए-हिना
ग़ैब का मा'रज़ा-ए-वक़्त-ओ-मकाँ में आना

तिश्ना-ए-नूर मिरी फ़िक्र के महताब ओ नुजूम
मिरे ख़ुर्शीद मिरी काहकशाँ में आना