भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेरी कविता / मुकेश मानस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐसी हो मेरी कविता
जो इस बुरे वक्त की
तकलीफ़ें बांट सके
गहराते अंधकार को
जितना हो छांट सके

रचनाकाल:2000