मैया! खिली कलियाँ केली की;
ज्यों डोली गुड़िया अलबेली की।
नन्ही चिड़िया उड़ती फूलों पर;  
झूलती टहनी  के झूलों पर।
केली पर लटकी बेल चमेली,
झूमर बारात सजी सहेली।
मेरी गुड़िया है आज उदास;
जाना उसको  गुड्डे के पास।
वहाँ नहीं मिलेगा  ये बिस्तर;
मोबाइल, गेम ना  कम्प्यूटर।
फिर  यह कैसे  वहाँ रहेगी।
मुझसे दूरी कैसे सहेगी?
इसे तो  मैं खूब पढाऊँगी,
अपने हाथों से सजाऊँगी।
पढ़ाई करके  बड़ी बनेगी
सबके भलाई सदा करेगी ।