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मेरी पीड़ा / अज्ञेय

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 मेरी पीड़ा मेरी ही है तुम्हें गीत ही मैं दूँगी-
यदि असह्य हो, क्षण-भर चुप रह यति मैं उसे छिपा लूँगी!

1934