भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे अपने / रेशमा हिंगोरानी
Kavita Kosh से
अश्क़<ref>आंसू</ref> वो काम कर गए मेरे,
अश्क़ वो थाम कर गए मेरे!
किसी से क़ीमते-वफ़ा<ref>प्यार / वफादारी की कीमत</ref> सुनकर,
अदा वो दाम कर गए मेरे!
मेरा ही करके कत्ल, देखो वो,
सर पे इलज़ाम कर गए मेरे!
पूछा ज़िंदगी की क्या है दवा,
वो आगे जाम कर गए मेरे!
और वो जाते-जाते कुछ न सही,
वफ़ा तो नाम कर गए मेरे!
गिल़ा औरों से नहीं है शम्मा,
मुझको बदनाम कर गए मेरे!
शब्दार्थ
<references/>