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मेरे उस के दरमियाँ ये फासला अपनी जगह है / अशअर नजमी
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मेरे उस के दरमियाँ ये फासला अपनी जगह है
आहटों और दस्तकों का ये सिलसिला अपनी जगह है
सीन-ए-आवाज़ में है बर्फ़ की तलवार गुम
बे-सदा गुम्बद का लेकिन मसअला अपनी जगह है
मैं चमकती रेत की अटखेलियों का हूँ असीर
एड़ियों का इजि़्तराबी मश्ग़ला अपनी जगह है
ख़ुद-फ़रेबी का भरम टूटा चलो अच्छा हुआ
ऊँघती बे-दारियों का मरहला अपनी जगह है