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मेरे काले घुंघराले बाल सफ़ेद पड़ने लगे हैं / सुन्दरचन्द ठाकुर

मेरे काले घुंघराले बाल सफ़ेद पड़ने लगे हैं

कम हंसता हूं बहुत कम बोलता हूं

मुझे उच्च रक्तचाप की शिकायत रहने लगी है

अकेले में घबरा उठता हूं बेतरह

मेरे पास फट चुके जूते हैं

फटी देह और आत्मा

सूरज बुझ चुका है

गहराता अंधेरा है आंखों में

गहरा और गहरा और गहरा

और गहरा


मैं आसमान में सितारे की तरह चमकना चाहता हूं.