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मेरे जूते / लक्ष्मी खन्ना सुमन

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स्कूल चलूँ जब, ये भी जाते
दोनों मुँह चमकाए
जुड़वाँ भाई जूते चलते
तालु जीभ दबाए

पैरों में डल साफ सड़क पर
बड़ी शान से चलते
पर कीचड़ से बच-बच निकलें
फिर भी उसमें सनते

कीचड़-धूल सने जब आए
सारा घर घबराए
इन जूतों को बहार रक्खो
मम्मी डांट लगाए

पालिश भी करता मैं इनकी
करता खूब सफाई
उधड़े जब आगे-पीछे से
मोची करे सिलाई

दौड़-दौड़ फुटबाल खेलता
मैं इनके बलबूते
बहुत ध्यान रखते पैरों का
मेरे अछे जूते