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मेरे तो मन मैं हुई-उचाटी / रामधारी खटकड़

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मेरे तो मन मैं हुई-उचाटी
मजदूर तेरा हाल देख कै छाती आवै पाटी
 
बिल्डिग़ बणावैं बड़ी-बड़ी तू तेरा काम खोटा सै
मामूली सी मिलै मजदूरी तेरे घर मैं टोटा सै
ठेकेदार बदमाश घणा वो खावै मुनाफा मोटा सै
तेरी औरत तेरी गेल्यां मिलकै पत्थर कूट रही
बाळक तेरा रेत्ते मैं रोवैं, ममता तक भी छूट रही
संसार बसावणियां तू सच्चा तनैं व्यवस्था लूट रही
पूंजीपति की छूट रही सदा तेरी पिट्टै माटी
 
किते काम करै मील मैं सूखकै तू माडा होग्या
दम घुट ज्या सै भट्ठी धोरै तेरै जी नै खाड़ा होग्या
टी.बी. का मरीज बणै, बिना इलाज पुआड़ा होग्या
किते खान मैं उतर रहा तू जान हथेळी पै धरकै
लोहा-पीतळ-कोयला काढै सांस लेता मर-मरकै
मोटा होग्या पेट सेठ का माल तिजोरी मैं भरकै
सुणले ध्यान उरै करकै या बेडी क्यूं जा काटी
 
सात बरस का बेटा तेरा काम करै सै ढाबे मैं
काच्ची कलियां सूख रही ज्यूं फसल सूखज्या गाभे मैं
पाप छिपावण खातर अपने सेठ जार्या काशी-काबे मैं
किते बर्तन का कारखाना कालीन किते बणावै तूं
अपणी ताकत झोंक-झोंक, दुनियां नई बसावै तूं
चीज बणकै त्यार होज्या मोल लेण ना पावै तूं
बहोत घणा दुख ठावै सै तू तबीयत होज्या खाटी
 
मेरा नाम किसान सै मैं तेरा साथी असली रै
झूठा जाळा से किस्मत का नीति सारी नकली रै
खून चूस्या हम दोनों का इज्जत म्हारी तक ली रै
मैं भी तेरे साथ रहूं तू मेरी गेल्यां हाथ मिला
हम दोनों सां असली ताकत हम बिन ना संसार चला
रामधारी संग मिलकै ईब हकूमत दिए हिला
क्रान्ति की मशाल जला या जनता कदे ना नाटी