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मेरे दिल को उसकी जुल्फ़ के अफ़ई / तारा सिंह
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मेरे दिल को उसकी जुल्फ़ के अफ़ई ने काटा
दुनिया कहती, तुमको कुछ हुआ नहीं है
हर मर्ज़ की दवा, मिलती तो बाज़ारों में
मगर नज़रों के दर्द की दवा नहीं है
राहें,जिंदगी में दिल का साथ छोड़कर पछताओगे
आखिर तक साथ, किसी ने दिया नहीं है
चमन–दर–चमन बने हर फ़ूल, सबा
कलि-कलि की गोद भरे, ऐसा हुआ नहीं है
अजीब दौड़ है आई खुश-ज़मालों की, करके
खता, कहते हमने यह खता किया नहीं है