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मेरे पाँवों के काँटे भी मुहब्बत की निशानी हैं / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
मेरे पाँवों के काँटे भी मुहब्बत की निशानी हैं
पड़े हाथों में जो छाले वो मेहनत की निशानी हैं
मुझे आराम करने के लिए फ़ुरसत कहाँ मिलती
मेरे बढ़ते क़दम मेरी ज़़रूरत की निशानी हैं
अना ये है अमीरों का कभी उतरन नहीं पहना
मेरे अपने फटे कपड़े भी इज़्ज़त की निशानी हैं
नशे में चूर है हाकिम चलो उसको बता आयें
ये मुर्दाबाद के नारे बग़ावत की निशानी हैं
ज़माने को ख़बर है फिर उसे ही क्यो नहीं मालूम
कि ये लफ़्फा़ज़ियाँ उसकी हिमाक़त की निशानी हैं
पता है सब मुझे पर्दे के पीछे खेल जो होता
मेरी खा़मोशियाँ मेरी शराफ़त की निशानी हैं