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मेरे बिस्तर पर सोयी रातरानी है / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
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मेरे बिस्तर पर सोयी रातरानी है।
खुद मोहब्बत में हमने बात मानी है।।
मेरे हिस्से की आधी रात बाकी है।
इक दूजे का रिश्ता दरमियानी है।।
कितनी सोती हो गहरी जाग जाओ भी।
तेरी गलियों की कब से खाक छानी है।।
आओ पलकों पर तुझको मैं बिठाऊँगा।
तुझसे नाता ये मेरा खानदानी है।।
हर डाली पर उल्लू का बसेरा है।
पहरेदारी में वो भी आसमानी है।।