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मेरे भीतर / मोहन साहिल
Kavita Kosh से
					
										
					
					मुझे आकाश जैसा नीलापन चाहिए
और सीमाओं रहित विस्तार
काले बादलों से घिरने के बावजूद
मैं रहना चाहता हूँ कोरा स्वच्छ 
समेटना चाहता हूँ 
पूरा का पूरा तारामण्डल 
अपने भीतर 
चमकता हुआ 
ताकि देख पाए दुनिया
मेरे भीतर और भीतर
जहाँ छिपे हैं 
ब्रह्माण्ड के अनगिनत रहस्य
 
	
	

