मेरे माही क्यों चिर लाया ए / बुल्ले शाह
मेरे माही क्यों चिर लाया ए?
कह बुल्ला हुण प्रेम कहाणी,
जिस तन लागे सो तन जाणे,
अन्दर झिड़काँ बाहर ताने,
नंहु ला एह सुख पाया ए।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए?
नैणाँ कार रोवण दी पकड़ी,
इक्क मरनाँ दो जग्ग दी फकड़ी<ref>बदनामी</ref>,
बिरहों जिन्द अवल्ली जकड़ी,
मैं रो रो हाल वन्जाया ए।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए?
मैं प्याला तहकीक<ref>सचाई की ढूँढ़</ref> लीता ए,
जो भर मनसूर पीता ए,
दीदार मअराज<ref>सिखर</ref> पीआ लीता ए,
मैं खूह थीं वुजू<ref>मुसलमानों का पंच स्नान</ref> सजाया ए।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए?
इशक मुल्ला ने बाँग दिवाई,
सहु आवण दी गल्ल सुणाई,
कर नीयत सजदे वल्ल धाई,
नी मैं मुँह मेहराब<ref>दरवाजा</ref> लगाया ए।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए?
बुल्ला सहु घर लपट लगाईं,
रस्ते में सभ बण तण जाईं,
मैं वेक्खाँ आ अनायत साईं,
इस मैनूँ सहु चिर लाया ए।
मेरे माही क्यों चिर लाया ए?