मेरे शब्दों
मेरे शब्दों
चलो छुट्टी करो, घर जाओ
शब्दकोशों में लौट जाओ
नारों में
भाषणों में
या बयानों मे मिलकर
जाओ, कर लो लीडरी की नौकरी
गर अभी भी बची है कोई नमी
तो माँओं , बहनों व बेटियों के
क्रन्दनों में मिलकर
उनके नयनों में डूबकर
जाओ खुदकुशी कर लो
गर बहुत ही तंग हो
तो और पीछे लौट जाओ
फिर से चीखें, चिंघाड़ें ललकारें बनो
वह जो मैंने एक दिन आपसे कहा था
हम लोग हर अँधेरी गली में
दीपकों की पंक्ति की तरह जगेंगे
हम लोग राहियों के सिरों पर
उड़ती शाखा की तरह रहेंगे
लोरियों में जुड़ेंगे
गीत बन कर मेलों की ओर चलेंगे
दियों की फोज बनकर
रात के वक्त लौटेंगे
तब मुझे क्या पता था
आँसू की धार से
तेज तलवार होगी
तब मुझे क्या पता था
कहने वाले
सुनने वाले
इस तरह पथराएँगे
शब्द निरर्थक से हो जाएँगे
अनुवाद: चमन लाल