मेरे सपनो ! अब तुम विदा लो / लोकमित्र गौतम
मेरे सपनो !
तुम्हारा बोझ ढोते-ढोते
मैं थक गया हूँ
अब तुम विदा लो...
मेरी हकीकतो
तुममें कल्पनाओं का रंग भरते भरते
मैं ऊब गया हूं
अब मुझे बख्शो
मेरा सब्र जवाब दे रहा है
ढाढ़स मुझे झाँसे लगने लगे हैं
मैं उस सुबह की इन्तज़ार में जो अब तक नहीं आई
...और कब तक अपनी मासूम शामों का कत्ल करूँगा
मैं अब जीना चाहता हूं
अभी, इसी वक़्त से
मेरे सपनो मुझे माफ़ करना
तुम्हारा इस तरह यकायक साथ छोड़ देने पर
मैं शर्मिंदा हूँ
पर क्या करता तुम्हारी दुनिया का
इतना डरावना सच देखने के बाद
मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था
हालाँकि मैंने सुन रखा था
कि सपनों की दुनिया ख़ौफ़अनाक होती है
मगर जो अपनी आँखों से देखा
वह सुने और सोचे गए से कहीं ज़्यादा भयावह था
मैंने तुम्हारी दुनिया में ख़ौफ़नाक जबरई देखी है
मैंने देखा है
एक तानाशाह सपना
अनगिनत कमज़ोर सपनों को लील जाता है
तानाशाह सपनों की खुराक भी बहुत तगड़ी होती है
और कमज़ोर सपनों की बदक़िस्मती यह है
कि किसी सपने की खुराक
कोई दूसरा सपना ही होता है
शायद इसीलिए
सपनों के आदिशत्रु सपने ही हैं
ताक़तवर सपने
कमज़ोर सपनों को साँस नहीं लेने देते
ताक़तवर सपने जानते हैं
सपनों का सिंहासन
सपनों की लाशों पर ही सजता है
फिर सपना चाहे कलिंग विजय का हो
या आल्पस से हिमालय के आर-पार तक
अपनी छतरी फैलाने का
इन शहंशाह सपनों की पालकी
तलवार की मूठ में कसे कमज़ोर सपने ही ढोते हैं
फिर चाहे
मुकुटशाही की रस्मों को वो देख पाएँ
या थककर तलवार की मूठ पर ही
हमेशा-हमेशा के लिए सो जाएँ
इसकी परवाह कौन करता है ?
मेरे बाबा कहा करते थे
एक जवान सपना
घने साये का दरख़्त होता है
इसकी ठण्डी छाँव और मीठी तासीर के लालच में
कभी मत फँसना
इसके साये में कुछ नहीं उगता
इसका नीम-नशा होश छीन लेता है
फिर यहूदी इंसान नहीं
गैस चैम्बर का ईंधन दिखता है
इसका ख़ौफ़नाक सुरूर
कुछ याद नहीं रहने देता
याद रखता है तो बस
मकुनी मूँछों को ताने रखने की ज़िद
क्योंकि ज़िदें सपनों की प्रेम सन्ताने होती हैं
मुझे पता है
सपनों के खिलाफ जंग में
मैं अकेला खड़ा हूँ
क्योंकि सपनीली प्रेमगाथाएँ
बहुत आकर्षक होती हैं
सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर आता है राजकुमार
और सितारों की सीढ़ियों से उतरती है सोन परी
सुनने और सोचने में कितना दिलकश है ये सब
मगर मैं जानता हूँ
कितना हिंसक है यह सब
ऐसे सपने सिर्फ़ सपनों में ही सच होते हैं
हक़ीक़त में नहीं
जब भी कोई उतारना चाहता है इसे हक़ीक़त की दुनिया में
पानी का इन्द्रधनुषी बुलबुला साबित होता है, यह सपना
आंखें खुलते ही
सितारों से उतरी सोनपरी की हथेलियाँ
खुरदुरी मिट्टी की हो जाती हैं
और सफ़ेद घोड़ा नीली आँखों वाले राजकुमार को
ज़मीन पर पटक घास चरने चला जाता है
इसीलिए मैं परियों और राजकुमारों वाले सपनों से
तुम्हें बचाना चाहता हूँ
इसीलिए मैं तुम्हें सपनीली नहीं बनाना चाहता
मैं तुमसे
सर्द सुबहों के उनींदे में
बाँहोंं में कसकर भींच ली गई
गर्म रजाई की तरह लिपटना चाहता हूँ
मैं तुम्हें लार्जर दैन लाइफ़ नहीं बनाना चाहता
इसलिए मैं अपने सपनों से कह रहा हूँ
अब तुम विदा लो ...