मेरो गढ़ ददरेड़ी बड़ो सहर हिन्दुवाना / हरियाणवी
मेरो गढ़ ददरेड़ी बड़ो सहर हिन्दुवाना
अमर का पोता जेवर सिंह चौहाना
मरद निछत्तर छत्तरधारी राणा
बादसाही सूबा आम खास में थाना
मदद इलाही कला सवाई
नौबत में लागी धाई
जाहर पीर मरद अवतारी
जंग जीत पीरी पाई
कलजीवन सूं गोरख आया
चौदह सौ चेला संग लाया
आ बागां में डेरा लाया
बारह बरस का सूखा बाग हराया
फूलों का डौना माली भर के ल्याया
अम्मा बाछल जाए दिखाया
औधड़ चेला ने जाए अलख जगाया
राणी भिच्छा लाई गुर की रिच्छा
सेवा में बाछल आई
जाहर पीर मरद अवतारी...
वाछल माता जनमत की बांझ कहावै
पुत्र की खातिर सेवा हित कहलावे
मौला गोद भरेगा न्यूं सतगुर समझावै
सेवा सहणी गुरु की करणी
खुसी रही बाछल माई
जाहर पीर मरद अवतारी...
बारह बरस तक सेवा साधी गहरी
गोरख नाथ का परचा
हर दम हाल हजूरी
काछल का जौड़ा जिनें थी मजबूरी
बाछल का गूगा लिखी अरस ते पीरी
जौड़ा ने बाद मंडायो धुन्ध मचायो
दिल्ली में चुगली खाई
जाहर पीर मरद अवतारी...
चढ़ा बादसाह ले ली फौज अमोही
ददरेड़े छाया जित गूगासिंह की रोही
चढ़ा बाला ‘भाणजा’ लेली हाथ सरोही
चढ़े हिसाबा लसकर दाना
इन्दल कर दिया राही राही
जाहर पीर मरद अवतारी...
चढ़ा भज्जू भाई जिनने
लोथण कर दिया घारा
चढ़ा वीर ब्राह्मण नरसिंह मतवारा
वा फत्ते सिंह ने रण में खड्ग संभाला
वा गूगा जी के गले में भूमतिमाला
जिनकी बणी रहे चतुराई
जाहर पीर मरद अवतारी...
गूगा जी की मदद पीरपी राणी
समसेर उठाई जागीबामी भुजा भवानी
धड़सीस उड़ायो जिने वार करो हकानी
चौहान गोत्र की कर गयो अमर निसानी
गूगा ने सैर बैर जब लिया
लोथ जिनों की तड़ पाई
जाहर पीर मरद अवतारी...
बादसाह के जी पै बह गई कारी
लीला ने दोनों टाप धरी अम्बारी
गूगा ने आया लटका नीचे पटका
काण करूं तेरे तखत की
तो को कहा मारूं बादसाह भाई
जाहर पीर मरद अवतारी...
जंग जीत के सिर जोड़ां का ल्याया
इनको बिसवा दे दे ले मेरी बाछल माता
गूगा तनें बुरी करी ये
मेरी सगी बाहण का जाया
ददरेड़ा तै सुण कै करण पुरे में आया
अर्जुल्ला पाअी जब लीला सुधां समाया
भूडां बीच मैड़ी छाई
जाहर पीर मरद अवतारी...