भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैंने लिखा नाम / निज़ार क़ब्बानी
Kavita Kosh से
प्यार करता हूँ जिसे
लिखा उसका नाम
हवा पर।
प्यार करता हूँ जिसे
लिखा उसका नाम
पानी पर।
लेकिन
हवा को सुनाई देता है कम
और पानी को
याद नहीं रहता कोई भी नाम।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह